(विकास गर्ग)
देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी विभागों ने विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए मंजूर की गई 872 करोड़ की राशि कहां खर्च की, इसका अता-पता नहीं है। विभागों की ओर से इस राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र ही प्रस्तुत नहीं किया गया। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। विधानसभा सत्र के दूसरे दिन बुधवार को विधानसभा के पटल पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की वित्त लेखों और विनियोग लेखों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट में राज्य के बजट प्रबंधन पर कई सवाल खड़े किए गए हैं। इसके साथ ही राज्य के सरकारी विभागों द्वारा विकास योजनाओं के नाम पर खर्च की गई धनराशि के उपयोग के तरीकों पर भी सवाल उठाए हैं।
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2020 -21के दौरान 764 करोड़ रुपये की योजनाओं से संबंधित उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किए। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार यह पहला मौका नहीं है जब सरकारी विभागों ने योजनाओं के बजट खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया। इससे पहले पिछले सालों में भी विभागों का काम करने का यही तरीका रहा है।
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