(विकास गर्ग)
देहरादून। देवस्थानम बोर्ड एक्ट को चुनौती देती जनहित याचिका खारिज। उच्च न्यायालय ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को सरकार के पक्ष में खारिज किया। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने छह जुलाई को निर्णय को पूरी तरह से सुनने के बाद सुरक्षित रख लिया था।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमणयम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि, सरकार ने चार धामों समेत कुल 51 मंदिरो का आधिपत्य अपने हाथों में लिया है, जो गलत है। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताते हुए न्यायालय से इसपर रोक लगाने को कहा था। मंगलवार को निर्णय आने के बाद काफी हद तक स्थिति साफ हो जाएगी।
आज उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार के पक्ष को मजबूत मानते हुए सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय से आगे का आदेश वैब साइट में अपलोड होने के बाद आदेश में आगे की जानकारी मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया
बोर्ड का गठन, राज्य गठन के बाद सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम।
भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया गया बोर्ड का गठन।
तीर्थ पुराहितों और पंडा समाज के हक हकूक पूरी तरह से सुरक्षित।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री आवास में आयेाजित प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से बोर्ड का गठन किया गया है। पिछले वर्ष 36 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आए। आने वाले समय में इसमें बहुत वृद्धि होने की सम्भावना है। इसलिए इतनी बड़ी संख्या मे आने वाले यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। माननीय उच्च न्यायालय ने एक तरह से राज्य सरकार के निर्णय पर अपनी मुहर लगाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। जहां भी धर्म और संस्कृति का विषय होता है, वहां परम्पराओं का बहुत महत्व है। हमने चारधाम के संबंध में सभी परम्पराओं का बनाए रखा है। सैंकड़ों सालों से स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और पण्डा समाज ने चारधाम की पवित्र परम्पराओं का संरक्षण किया है। विपरीत परिस्थितियों के होने पर भी दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं देखा है कि बरसात में रास्ते बंद हो जाने पर किस प्रकार तीर्थ पुराहितों ने श्रद्धालुओं के रूकने, खाने आदि की व्यवस्था कीे है।
इसी भावना के कारण उत्तराखण्ड को देवभूमि का मान मिलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ पुराहितों ने यहां की परम्पराओं का संरक्षण किया है और देवभूमि का मान बढ़ाया है, उनके हितों की रक्षा, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए। राज्य गठन के बाद चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय को किसी की जीत हार से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। यह राजनीतिक विषय नहीं है। आने वाले समय में चारधाम देवस्थानम बोर्ड, चारधाम यात्रा के प्रबंधन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है।
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