(संवाददाता NewsExpress18)
करनाल। केंद्र सरकार द्वारा कृषि से जुड़े पेश किए गए तीन विधेयक अब कानून का रूप ले चुके हैं। इन्हीं में से एक कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020 है, जाे लागू तो है, लेकिन सभी किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस कानून के मुताबिक किसान अपनी फसल को देश में कहीं पर भी बेच सकता है। लेकिन किसानों की फसल खरीद में राज्यों के नियम रुकावट बन गए हैं। इस कारण उत्तर प्रदेश के किसानों को बार्डर पर ही हरियाणा की मंडियों में आने से रोका जा रहा है।
हरियाणा में उत्तर प्रदेश से आने वाले किसानों को बार्डर पर रोका जा रहा
हरियाणा-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर दो दिन से यूपी के सैकड़ों किसान हरियाणा की मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए ट्रैक्टर-ट्रालियां लेकर रुके रहे। वे इस उम्मीद के साथ डटे रहे कि उनको करनाल की मंडी में जाने के लिए अनुमति मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश के किसानों के सीमा पर डटे रहने की करनाल जिला प्रशासन को भनक लगी तो संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाई गई।
करनाल-यूपी बार्डर पर खड़ी धान से भरी ट्रालियां।
जिला प्रशासन की ओर से फरमान जारी किया गया कि उत्तर प्रदेश का कोई भी किसान पीआर धान लेकर करनाल में दाखिल नहीं होना चाहिए। डीसी निशांत यादव ने बैठक में मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए कि शिफ्ट में कर्मचारी बार्डर पर ड्यूटी लगा लें। निर्देश दिया गया कि केवल बासमती धान लेकर आने वाले किसानों को ही एंट्री दी जाएगी।
हरियाणा के बहुत से किसान जिनकी जमीन यूपी में
करनाल जिले के बहुत से ऐसे किसान हैं जिन्होंने हरियाणा से सटे उत्तर प्रदेश में जमीन खरीदी हुई हैं। इनमें दयालपुरा निवासी रामधन व तेजी और करनाल निवासी जोगिंद्र भी हैं। उन्होंने कहा कि वे करनाल की मंडियों में आढ़तियों से लेन-देन करते हैं। अब सरकार के इस नए नियम ने परेशानी में डाल दिया है। यह किसान करें भी तो क्या? उन्होंने पीआर धान ही लगाई हुई है।
हर साल करनाल की मंडी में 60 प्रतिशत धान यूपी से आता है
मार्केट कमेटी सचिव सुंदर सिंह कांबोज के मुताबिक पिछले साल करीब 60 लाख क्विंटल धान की खरीद करनाल मंडी में हुई थी। इसमें उत्तर प्रदेश से करीब 60 प्रतिशत धान आई थी। बाकी 40 प्रतिशत करनाल व आसपास के क्षेत्रों से आई। हर साल यही अनुपात रहता है।
डीसी बोले-उत्तर प्रदेश का किसान हरियाणा में नहीं हो सकता रजिस्टर्ड
करनाल के डीसी निशांत कुमार यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसान करनाल में पीआर धान लेकर किसान नहीं आ सकते, बासमती लेकर आ सकते हैं। पीआर को सरकार एमएसपी पर खरीद करती है। इस वैरायटी की हरियाणा सरकार केवल हरियाणा के किसानों के लिए ही खरीद करेगी। इसमें ‘ मेरा फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल’ पर किसान का रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश के किसान हरियाणा में रजिस्टर्ड नहीं हो सकते इसलिए यहां नहीं आ सकते। बासमती की प्राइवेट खरीद होती है उसको कोई भी लेकर आ सकता है।
हरियाणा प्रदेश अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के चेयरमैन रजनीश चौधरी।
सीमांत किसानों को रोकन गलत
हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के चेयरमैन रजनीश चौधरी ने कहा कि सीमांत किसानों को बार्डर पर रोका जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह जानते हुए भी कि करनाल की मंडी यूपी की फसल पर आधारित है। हरियाणा के किसानों ने यूपी में जमीन ली हुई है उनका लेन-देन भी करनाल की मंडी से ही है। प्रदेश सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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