(विनोद मिश्रा)
बांदा। जिले विकास प्राधिकरण इन दिनोंअपनी कार्य प्रणाली से राजस्व विनाश का सरताज बनकर चरचा में है ! भ्रष्टचार कथित रूप से यहां अट्टाहस कर रहा है,और हमारे जिले के कुशल प्रशासक जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह की दृष्टि से उनका अपना ही यह विभाग शायद बचा हुआ है, तभी तो यहां अंधेरगर्दी का आलम है।
एक छोटा सा उदाहरण मैं पेश कर रहा हूँ, जो इस विभाग की कार्य प्रणाली का वृतांत पढ़कर आश्चर्य की सीमा को भी लांघ जायेगा।
चिल्ला रोड मौजा हरदौली में नामजेड अकृषक सरकारी भूमि है। खसरा और 1425 फसली में यह आबादी गिरजाघर के नाम से दर्ज है। यह बेशकीमती सरकारी भूमि है।
अभिलेखों में ब्रिटिश हुकुमत के समय से इसका कोई दूसरा नाम दर्ज नहीं है, लेकिन कुछ भू माफिया ने कूटरचित दस्तावेजों से 30 वर्ष के लिए पट्टा करा लिया है। मान्यता लेकर स्कूल चलाया जा रहा है।
धार्मिक स्थल की आड़ में निजी स्वार्थ के बड़े घोटाले और खेल किए जा रहे हैं। बांदा विकास प्राधिकरण से आरटीआई द्वारा सूचना मांगी गई थी।
इस पर प्राधिकरण के जन सूचना अधिकारी-अवर अभियंता ने सूचना देते हुए कहा है कि यहां कोई व्यवसायिक निर्माण होते नहीं पाया गया। यह भी कहा कि स्कूल का संचालन व्यावसायिक गतिविधियों में नहीं आता। सूचना में कहा गया है कि स्कूल का मानचित्र प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत है।
विचारणीय पहलू यह है की जिस स्कूल में अभिभावकों से मोटी फीस ली जा रही हो उसे प्राधिकरण द्वारा व्यवसायिक गतिविधियों में क्यों नहीं स्वीकर किया गया! क्या यहअंधेरगर्दी नहीं है। इस प्रकरण की जांच उच्च स्तरसे होनी चाहिये। आर टी आईं के जिले के समाज सेवी आशीष सागर दीक्षित द्वारा जानकारी मांगनें पर विभाग में अंदरुनी तौर पर खलबली का आलम है!इसी लिये भ्रामक सूचनाएं इस प्रकरण में दी गई! उन्होनें मामले को आवास एंव शहरी मंत्रालय के प्रमुख सचिव को भी राजस्व अभिलेखों के साथ पत्र भेजा है। जरूरत पर मामले को उच्च न्यायालय तक ले जानें की भी बात कही है। डीएम और प्राधिकरण सचिव को प्रतियां भेजी हैं। फिलहाल हमें तो जिलाधिकारी से उम्मीद की वह इस मामले की अपने स्तर से ही जांच कराकर दोषियों के गले में नियमों के उल्लंघन का फंदा कस देंगे।