(विनोद मिश्रा)
बांदा।जिले में लाल सोने (मौरंग) की लूट की मिल रही शिकायतों पर जिलाधिकारी आनन्द सिंह रेड एलर्ट हो गये हैं। उनके मातहत उन्हें अवैध खनन न होने के संदर्भ में जो गुमराह कर रहे है, शिकायतें मिलने पर डीएम इस संदर्भ में गम्भीर हैं और वह स्वयं अवैध खनन की शिकायतों पर मौके पर पहुंच कर निरीक्षण करेगें। डीएम आनन्द कुमार सिंह की अवैध खनन न होने देने की घोषणा ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ के समान जनता के बीच मानी जा रही है, क्योकि अभी उन्होनें अपने थोड़े ही कार्यकाल में दर्शा दिया है की बिगड़ैल जिले को लाइन पर कैसे लाया जा सकता है।
डीएम आनन्द सिंह को आभास हो चुका है की जिले में अवैध बालू खनन पर पूरी तरह अभी लगाम नहीं लग पा रहा क्योकि उनके स्वयं के आधीन भी कुछ कथित भ्रष्ट अफसर आस्तीन के सांप जैसा काम कर रहे हैं। इसके चलते खनन माफिया बेलगाम से हैं। यही कारण हैं की अवैध खनन का बोलबाला सिर चढ़ कर बोल रहा है।
जिले में नसेनी अवैध खनन के लिए बदनाम है तो बदौसा में केन व रंज की सहायक बागै नदी में बरकतपुर घाट पर एक से दूसरे छोर तक नदी के बीच कतारबद्ध बांस गड़े दिखते हैं। इन बांस के बीच लोहे की मोटी प्लेट, कंक्रीट व पत्थर से बनाए गए रास्ते से कहानी खुद उजागर हो जाती है। नदी के बीच से गुजरते वाहन बताने को काफी हैं कि बहते हुए पानी पर भारी वाहन किसी तकनीक से नहीं चल रहे, बल्कि पानी के नीचे पत्थर, सीमेंट व मौरंग की बोरियां डालकर पुल बनाया गया है। नदी के बीच में पोकलैंड गरज रहीं हैं। मौरंग खनन के साथ ट्रक और डंपर लोड हो रहे हैं। बाद में इसी अवैध पुल से होकर गुजरते हैं।
डीएम साहब को हम बता दें की आश्चर्य की बात यह बताई जा रही है की सबको नजर आने वाला यह अवैध पुल खनिज विभाग और क्षेत्रीय प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं दिखता है। खनिज अधिकारी सुभाष सिंह कहीं भी अवैध खनन और अवैध रूप से बनाए गए अस्थायी पुल को कपोल कल्पित बताते हैं। माफिया नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों को सरेआम उलंघनकर रहें हैं, औऱ जिम्मेदार अनदेखी कर रहे हैं। प्रतिबंधित मशीनें जलधारा में तांडव मचा रही हैं। नदी की जलधारा जहां दिशा बदल रही है, वहीं ग्रामीणों के लिए जलसंकट भविष्य में खड़ा हो सकता है तो जलीय जीव-जंतुओं के अस्तित्व को भी खतरा है।
डीएम साहब के संज्ञान में मामला आया तो एसडीएम नरैनी, सदर व अतर्रा की टीम गठित की। 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी है। खुद मौके पर जाकर जांच करनें को कहा है। अवैध पुल मिलने पर कठोर भी होगी।दूसरी और बरकतपुर बालू खदान पहुंचे खनिज अधिकारी व राजस्व टीम ने सीमांकन जांचा।अस्थायी पुल को अवैध मानने से इंकार कर दिया।गजब के हैं खनिज विभाग के अधिकारी हकीकत नहीं दिखती।रविवार को बरकतपुर बालू खदान में अवैध खनन और नदी में अवैध पुल बनाने की जांच करने पूरा अमला पहुंचा, लेकिन आदर सत्कार के बीच चली जांच के दौरान सब ठीक दिखा।उसी तरह जैसे एक दिन पहले महुटा खदान का जायजा लिया गया था। खास यह कि नदी के बीच बने पुल को खनिज अधिकारी ने अवैध मानने से इन्कार कर दिया। कहा कि नदी का पानी रुका नहीं है, इसलिए किसी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ।खनन शर्तों व मानक के विपरीत सात से 10 फीट गहरी खोदाई के सवाल पर गोल-मोल जवाब देकर बात टाल दी गई।
जानकार बताते हैं कि उदयपुर में दो हेक्टेयर से ज्यादा में अवैध खनन हो चुका है।अब जिलाधिकारी भी काफी हद तक धतराष्ट्रों को समझ चुकें हैं औऱ समस्या के निदान के लिये उन्होनें अपने कार्यवाई रूपी ‘गांडीव’ हाथ सख्त कर राजस्व को हानि न पहुचने देनें की अपनी रफ्तार को और गति देनें की सी ठान ली हैं।
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