(विकास गर्ग)
देहरादून । देश में उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जिस प्रदेश की सरकार अपने राज्य की जनता को पांच लाख रूपए तक का निशुल्क उपचार की सुविधा मुहैया करवा रहा है। इसके चलते वह देश में पहले स्थान पर है और इस सुविधा का लाभ 25 दिसंबर 2018 से प्रतिवर्ष लाखों लोग उठा रहे है। ऐसे में यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार को लाखों लोगों की दुआएं मिल रही हैं।
यह सब संभव हुआ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से जिन्होंने देश में “आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना” प्रारम्भ की, इसी योजना को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश के लगभग पांच लाख परिवारों तक पहुँचाया। इसका लाभ वे लोग भी उठा रहे हैं जिनके पास गम्भीर बीमारी के इलाज के पैसे नहीं होते थे और वे अपने ऐसे बीमार लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ देते थे, लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने गरीबी के दिन देखे हैं लिहाज़ा उनकी यह योजना प्रदेश के ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जिससे अब वे प्रतिवर्ष 5 लाख रूपये तक की निशुल्क उपचार सुविधा पा रहे हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत व उनके नेतृत्व में चल रही प्रदेश सरकार ने इस योजना को देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री स्व. अटल बिहारी के जन्म दिवस 25 दिसम्बर से लागू की। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने इसके लिए 25 दिसंबर का दिन इसलिए निर्धारित किया गया, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य बनाकर यहां के लोगों को नई सौगात दी थी। इस योजना में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने प्रतिवर्ष 18 लाख लोगों को रखा। मगर, वर्तमान में इस आंकड़े से भी ज्यादा लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। वर्तमान में राज्य के सरकारी चिकित्सालयों (जिसमें समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला चिकित्सालय, संयुक्त चिकित्सालय एवं बेस चिकित्सालय सम्मिलित हैं) एवं सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों में (रैफर करने के आधार पर) प्रदान की जा रही है।
त्रिवेंद्र सरकार शब्दकोष में नहीं भ्रष्टाचार शब्द
त्रिवेंद्र सिंह रावत शब्दकोष में भ्रष्टाचार नामक शब्द ही नहीं है। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में लोगों को परेशानियां न हो और किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार न पनपे। इसके लिए उन्होंने इसे पूरी तरह से पेपरलैस व कैशलैस किया हुआ है। इसके चलते लोगों के लिए इस योजना का लाभ उठा पाना और भी आसान है।
जानिए कितनी आसान है यह योजना
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना का लाभ उठाने के लिए गोल्डन कार्ड बनवाना होता है, जिसे आसानी से अपने नजदीकी काॅमन सर्विस सेंटर और सरकारी अस्पताल में जाकर बनवाया जा सकता है। इस शर्त यह है कि आपका नाम पात्रता सूची में शामिल होना चाहिए। लाभार्थी को कॉमन सर्विस सेंटर पर कार्ड बनाने के लिए 30 रुपए का शुल्क देना पड़ता है।
अगर आपके पास कार्ड नहीं है, तो आप मुख्यमंत्री द्वारा जारी पत्र के साथ कोई भी मान्य आईडी दिखा सकते है, योजना का लाभ मिल सकता है।
गोल्डन कार्ड के लिए साथ रखें यह दस्तावेज
गोल्डन कार्ड बनाने के लिए आपके राशन कार्ड या वोटर आईडी कार्ड के द्वारा लाभार्थी का नाम सूची में देखा जा सकता है। योजना के लिए किसी अतिरिक्त दस्तावेज की जरूरत नहीं है। योजना की वेबसाइट आयुष्मान उत्तराखंड डाट ओआरजी पर पात्रता सूची देखी जा सकती है। यहां सूचीबद्ध अस्पतालों की सूची भी है। इसका मोबाइल एप भी डाउनलोड कर इस्तेमाल कर सकते हैं। राशन कार्ड नंबर डालकर भी अपने परिवार का नाम देखा जा सकता है।
आयुष्मान अटल योजना के लिए इस तरह से करें आवेदन
आयुष्मान अटल योजना में आवेदन करने के लिए आपको ंआयुष्मानउत्तराखंडडाॅटओआरजी साईट पर लॉग इन करना होगा। इसके बाद ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करने के बाद आपके पास नीचे दिया हुआ फार्म ओपन होगा। फार्म में अपनी सारी सही जानकारी भरने के बाद सबमिट बटन पर क्लिक करें। सबमिट बटन पर क्लिक करने के बाद आपका रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाएगा।
अन्य किसी भी जानकारी या सहायता के लिए आप आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। या फिर आप हेल्पलाइन नंबर 0135- 2608646 पर कॉल कर सकते हैं।
सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए भी लाभप्रद
त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य की नौकरी करने वालों और पेंशनरों के लिए 26 जनवरी 2019 से अंशदायी योजना की शुरूआत कर दी है, इसके तहत उन्हें असीमित उपचार की सुविधा उपलब्ध हो रही है। इसके लिए उनसे पदक्रम के अनुसार बेहद मामूली अंशदान लिया जा रहा है।
इन दस्तावेजों को रखें साथ तो मिलेगा लाभ
2012 की मतदाता सूची में जिन लोगों का नाम शामिल था, अगर उनके पास उस समय का वोटर आईडी कार्ड है, तो उन्हें निश्चित लाभ मिलेगा। अगर उस समय नाम नहीं था और बाद में जोड़ा गया, तो उन्हें राशन कार्ड और परिवार रजिस्टर की नकल जैसे दस्तावेज देने होंगे। उत्तराखंड के निवासी जिनके पास 2012 का राशन कार्ड व वोटर आईडी कार्ड है और नाम पात्रता सूची में नहीं है तो उन्हें परिवार रजिस्टर के दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। स्थानीय स्तर पर जांच के बाद वे वेबसाइट पर खुद पंजीकरण करा सकते हैं।
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