(विकास गर्ग)
आज आपको एक ऐसे जालसाज व्यक्ति के बारे में जानकारी देंगे जो किसी को बदनाम करने के लिए किसी भी हद दक जा सकता है। उसकी कहानी की शरुआत तो जमींन कब्जाने ,धोखाधड़ी करने से शुरू हुई पर गिरी हुई हरकत तो तब सामने आयी जब दिल्ली तुगलक रोड थाने पर आई जब एक लड़की ने रोते बिलखते हुए अपनी आप बीती सुनाई जिसका सब कुछ इस लुटेरे ने लूट लिया था।
घटना १३ फरवरी २०१८ की है और जब बबाल मचा तो १६ फरवरी को लड़की का मेडिकल करवाया गया
लड़की ने बताया की २०१६ से उमेश कुमार उसके नजदीक आया और उसने अपने चैनल का उसको वाईस प्रेजिडेंट बनाने का झासा दिया और उसकी अस्मत से खिलवाड़ करता रहा व उसे कहा था की वो अविबाहित है और जल्दी ही उस से शाद्दी का करने को कहा ९ जून २०१७ में इसको घर बुलाया व् उसकी अस्मत लूट ली और उसका वीडियो बना लिया फिर २६ अगस्त को दिल्ली के होटल में बुलाया और वह भी उसके साथ बलात्कार किया और समय समय पर उसको बुलाता रहा और अस्मत लुटता रहा बाद में उसको धमका कर चुप करवा दिया गया
केदारनाथ आपदा में सबसे बड़ा घोटाला
केदारनाथ में भीषण आपदा आई थी विजय बहुगुणा के साथ उसके बेड रूम व् गाड़ी में साथ घूमने वाले उमेश कुमार ने हेलीकाप्टर के फर्जी बिल बना कर करोड़ो रुपये का घोटाला किया था ये बात सब जानते है और वही बहुगुणा को ये उमेश कुमार अब बी जे पी में लाया और मिलकर हरीश रवता की सरकार गिराई
स्टिंग दलाल
मोहम्मद शहीद आईएएस का स्टिंग क्या कर लिया ये तो सातवे आसमान पर समझने लगे और उसके बाद स्टिंग दलाली का धंधा शुरू कर दिया जब वो स्टिंग दिल्ली प्रेस क्लब पर कुछ अंश दिखाए गए पर कभी वो पूरा स्टिंग दिखाया ही नहीं गया जिससे जग जाहिर है की स्टिंग की कितनी दलाली खाई होगी इस अस्मत के लुटेरे ने
रंगदारी और षड्यंत्र का मामला
रंगदारी और षड्यंत्र का मामला देहरादून के राजपुर थाने में 10 अगस्त को समाचार प्लस चैनल के ही खोजी पत्रकार आयुष पंडित ने चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा, आयुर्वेद विवि के कुलसचिव (निलंबित) मृत्युंजय मिश्रा, राहुल भाटिया, चैनल के ही पत्रकार व उमेश के भांजे प्रवीण साहनी और सौरभ साहनी के खिलाफ दर्ज कराया था.आयुष पंडित का आरोप है कि उमेश स्टिंग ऑपरेशन के बल पर राजनेताओं और अधिकारियों से वसूली करता है. मुख्यमंत्री का स्टिंग न करने पाने पर उसने धमकाया और जान से मारने की धमकी दी.
आयुष का कहना है कि उसके माध्यम से उमेश कुमार ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव समेत कई अन्य अफसरों के स्टिंग का तानाबाना बुना था. उमेश राज्य में राजनैतिक अस्थिरता पैदा कर अपना स्वार्थ साधना चाहता था।
इसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने उनके आवास और कार्यालय में दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उमेश कुमार के कार्यालय व आवास से विभिन्न प्रकार के फोन, हार्ड् डिस्क, पैन ड्राइव, मेमोरी कार्ड, आइपैड, लैपटॉप और डीवीडी बरामद किये गये हैं. इसके अलावा 39 लाख 73 हजार रूपये और 16279 अमेरिकी डॉलर, 11030 थाइलैंड की मुद्रा भी बरामद की गयी है।
दो साल पहले उन्होंने तब के मुख्य मंत्री हरीश रावत का स्टिंग किया था तो भाजपा नेताओं के दुलारे थे। उसके बाद उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बन गई। अब मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का स्टिंग करने की सोची तो दबोच लिये गए। ब्लैकमेलिंग और उगाही के आरोप हैं। पैसा ही सबकी प्राथमिकता है। पत्रकार किसे कहेंगे और पत्रकारिता क्या है,सूबे में नई सरकार का गठन होने के बाद उमेश की भाजपा नेताओं और मंत्रियों से तो खासी करीबी रही, लेकिन जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के दरबार में उमेश की गहरी पैठ नहीं बन सकी थी. बताया जा रहा है कि इस मामले में उमेश को भाजपा के अन्य नेताओं से भी कोई मदद नहीं मिल सकी।
भाजपा ने राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयास को गंभीर मामला बताते हुए कहा कि मामले की जांच से न सिर्फ पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, बल्कि षड्यंत्र का पर्दाफाश होगा. कांग्रेस ने भी प्रकरण को गंभीर बताते हुए कहा कि इसमें कानून अपना काम करेगा. राज्य में सियासी अस्थिरता पैदा करने के प्रयास व स्टिंग ऑपरेशन जैसे आरोपों में गिरफ्तार उमेश के सत्ता प्रतिष्ठान और नौकरशाहों से संबंध किसी से छिपे नहीं हैं. दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा से उसकी नजदीकियां रही हैं।
वर्ष 2016 में उसके द्वारा किए गए तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुखिया हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन ने राज्य में सियासी भूचाल ला दिया था. इसके बाद वह भाजपा नेताओं के लिए चहेता बन गया था. अब भाजपा सरकार और उसके नौकरशाह ही उमेश के निशाने पर थे. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के उन लोगों में बेचैनी है, जिनके उमेश से संपर्क रहे हैं. वे नौकरशाह भी खासे बेचैन हैं, जिनसे वह मिलता-जुलता था. यही वजह भी है कि कोई भी इस प्रकरण पर खुलकर कुछ भी कहने से गुरेज कर रहा है।
समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार की साजिश में शामिल अन्य चेहरों के साथ उसके मंसूबों को सबूतों के जरिये साबित करने के लिए पुलिस को अभी लंबी कसरत करनी है. पहले तो उमेश के गाजियाबाद स्थित आवास से मिले इलेक्ट्रानिक उपकरणों में कैद स्टिंग और जानकारियों की क्रॉस चेकिंग करनी है और उससे जुड़ी हकीकत को सामने लाना है. इसके बाद अन्य आरोपितों की साजिश में भूमिका का भी पता लगाना है क्यूंकि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट ने उमेश कुमार को स्टे दिया हुआ है इसलिए ये सभी जांच अभी बंद है।
स्टिंग करने के लिए सीएम त्रिवेंद्र रावत के निजी और सरकारी घर में तीन बार कर ली थी एंट्री!
समाचार प्लस चैनल के एसआईटी हेड और स्टिंगबाजी के शिकायतकर्ता आयुष पंडित उर्फ आयुष गौड़ का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री के डिफेंस कालोनी स्थित निजी आवास और कैंट स्थित सरकारी आवास में तीन मर्तबा एंट्री की. डिफेंस कालोनी आवास पर दो बार गया जबकि कैंट आवास पर एक बार. निजी आवास पर उनके भाई बिल्लू व एक भतीजे का स्टिंग किया, मगर कैंट आवास पर मुख्यमंत्री का स्टिंग करने से आयुष ने इन्कार कर दिया. उसने कैमरे वाली जैकेट और मोबाइल बाहर ही छोड़ दिया।
चैनल में स्टिंग के लिए बाकायदा विशेष जांच टीम गठित थी. आयुष ने बताया कि थ्री-लेयर इस ‘गेम’ में पहली टीम राजनेता या नौकरशाहों को महंगे गिफ्ट देकर झांसे में लेती है. दूसरी टीम का काम इस झांसे में आए व्यक्ति को रुपये लेते हुए कैमरे में कैद करने का होता है और तीसरी टीम के जरिये संबंधित व्यक्ति से मोटी रकम वसूली की जाती है. तीसरी टीम के बारे में पहली दोनों टीमों को कोई भनक नहीं होती थी।
अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से आयुष पंडित एक व्यवसायी बनकर मिला. चारधाम ऑलवेदर रोड के टेंडर पर बात की. इसके बाद देहरादून में वह जिससे भी मिला, उसे अपना परिचय होटल व्यवसायी के तौर पर दिया. उत्तराखंड में अलग-अलग शहरों में जमीन लेकर ऑलीशान होटल खोलने का हवाला देकर सबसे मुलाकात की गई।
आयुष के मुताबिक उमेश जे कुमार स्टिंग की आड़ में एक संगठित गिरोह चला रहा था. वह एक ही ध्येय लेकर चल रहा था कि यदि मुख्यमंत्री काबू में आ गए तो सब हाथ में होगा. फिर वह सरकार में जो चाहे वह काम करा लेगा. इसलिए उसने उससे कहा था कि मुख्यमंत्री का जो भी रिश्तेदार, सगे-संबंधी, दोस्त, करीबी मिले, उसे गुप्त कैमरे में कैद कर लो।
हर स्टिंग के बाद उमेश तुरंत आयुष से सभी उपकरण वापस ले लेता था. अप्रैल में मुख्यमंत्री के भाई और भतीजे का स्टिंग करने के बाद आयुष ने उमेश को बताया तो उमेश कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बेटे की शादी में नंदा की चौकी के समीप एक होटल में था. उमेश ने उसे वहीं बुला लिया और कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों से बात कराई।
उमेश ने कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों से आयुष की बात कराई
हालांकि, वहां स्टिंग नहीं हो सका और उमेश ने उपकरण वापस ले लिए. इस दिन से पहले हर बार राहुल भाटिया उससे उपकरण ले लेता था. आयुष को मालूम ही नहीं चलता था कि वह खुद शिकार हो चुका है. मीडिया से मुखातिब आयुष ने मुकदमे में दर्ज आरोपों को दोहराया. तो अब तक सरकार को पता लगाना चाहिए था शादी की वीडियो से की वो कौन नौकरशाह थे जो उत्तराखंड सरकार के हर आदेश या जी ओ को तुरंत उस तक पंहुचा देते है।
आयुष ने कहा- उमेश जे कुमार कहते थे कि जिससे भी मिलो, उसका स्टिंग कर लो, कभी भी काम आ सकता है”. जब आयुष को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नौकरशाहों और कुछ राजनेताओं के स्टिंग का जिम्मा सौंपा गया तो स्टिंग की चेन बनती गई. इसमें सबसे पहले मृत्युंजय मिश्रा और फिर अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का स्टिंग हुआ. इसके बाद दून में मुख्यमंत्री के भाई, भतीजे और उनके करीबी भाजपा नेता संजय गुप्ता का भी स्टिंग किया गया।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि इनमें सिर्फ एक ही स्टिंग (मृत्युंजय मिश्रा का) ऐसा बना, जिसकी क्लीपिंग उमेश को अपने मनमाफिक लगी, बाकी स्टिंगों के बारे में उसका कहना था कि इससे कोई फायद नहीं होने वाला
उमेशकुमार ,राहुल भाटिया ,मृत्युंजय मिश्रा की अकूत सम्पति की कब जांच सामने आएगी ?
उत्तरांचल प्रेस क्लब में बातचीत करते हुए आयुष पंडित ने बताया था कि जनवरी 2019 में उमेश और चैनल के कुछ उच्च पदस्थ लोगों ने उन्हें यह बोलते हुए स्टिंग का जिम्मा दिया कि कुछ राजनेताओं और नौकरशाहों की वास्तविकता की जांच करनी है. उस दौरान दिल्ली चाणक्यपुरी में उत्तरांचल सदन में अपर स्थानिक आयुक्त मृत्युंजय मिश्रा के साथ पहली मुलाकात में तय हुआ कि चारधाम ऑलवेदर रोड टेंडर के लिए अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से मुलाकात कराने की जिम्मेदारी मृत्युंजय की होगी।
दावा किया कि उमेश इस मुलाकात के बदले ओमप्रकाश को पेशगी के 10 लाख रुपये देकर स्टिंग कराना चाह रहा था, लेकिन जब मुलाकात हुई तो अपर मुख्य सचिव ने टेंडर तय प्रक्रिया के तहत देने की बात कही. लेनदेन जैसी कोई बात नहीं होने से उमेश ने फिर स्टिंग का प्लान बनाया।
राहुल ने मुख्यमंत्री के करीबी भाजपा नेता होटल व्यवसायी संजय गुप्ता से मिलाया
इस बार मृत्युंजय ने कहा कि दस लाख रुपये पहले मुझे सौंपो तब होगी मुलाकात. उमेश रकम मृत्युंजय के बजाए अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव या मुख्यमंत्री के हाथ में देकर स्टिंग करना चाहता था. इसलिए उसने मृत्युंजय के दस लाख रुपये मांगने का स्टिंग कर लिया था. इसके बाद अप्रैल में उमेश ने आयुष पंडित को दून बुलाया और परिचित राहुल भाटिया से मिलाया. आयुष ने राहुल का भी स्टिंग बना लिया. राहुल ने मुख्यमंत्री के करीबी भाजपा नेता होटल व्यवसायी संजय गुप्ता से मिलाया और संजय ने मुख्यमंत्री के घर सीधे एंट्री रखने वाले कासिम से मिलवाया आयुष का दावा है कि कासिम ने मुख्यमंत्री के भाई (जिनका नाम बिल्लू बताया गया) व एक भतीजे से मिलवाया. इसके बाद उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से हुई. मुख्यमंत्री को छोड़कर आयुष ने सभी का स्टिंग बनाया।
आयुष ने दावा किया कि स्टिंग के वक्त चैनल की लोकल टीम उन पर नजर रखती थी. उमेश जे कुमार के ‘चहेते’ लोग इस टीम में रहते थे।
इस सारे ऑडियो में उमेश कुमार का होमवर्क बता रहा है कि किसी भी तरीके से मुख्यमंत्री के परिजनों से सौदेबाजी की बात टेप की जाए और उन्हें किसी भी तरह जबरदस्ती कुछ नकदी पकड़ा कर उसे स्टिंग की सीडी में सुरक्षित कर बड़ी सौदेबाजी को अंजाम दिया जाए। इस नये वायरल ऑडियो में उमेश कुमार स्टिंग करने वाली अपनी टीम पर सत्तर लाख रुपये तक अभी खर्च होने की बात कर रहा है। उमेश कुमार शॉर्टकट में रुपया कमाने के इस स्टिंग के काम मे व्यवसाय की तरह रुपया इन्वेस्ट कर रहा है, ताकि मुंह-मांगे तरीके से बाद में वसूली हो सके।
उमेश कुमार जानता है कि राजनीतिक व्यक्ति अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए स्टिंग के ऑडियो या वीडियो की कीमत पर मुंह मांगी रकम देगा। उमेश कुमार के इस खेल के सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि वह किसी भी तरह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उनके परिजनों और उनके निकटस्थ सहयोगियों का स्टिंग करके किसी व बड़ी सौदेबाजी के फिराक में था। लंबे समय से ब्लैक मेलिंग का उद्योग चलाने वाले उमेश का भांडा समय से पहले फूट गया।
भांडा तो सबका एक दिन फूटता ही है
शादाब शम्स का कहना है की दिन तो सबका एक न एक दिन आता ही है और अब इस स्टिंग दलाल का दिन आ चूका है और इसकी पोल खुल चुकी है कसी भी दिन यही प्रवासी इस दलाल को धूल चटा देंगे और जिन जिन के इसने स्टिंग करके उनसे पैसे लुटे है मौका मिलते ही इसका भी जीना दूभर कर देंगे और वो समय नजदीक ही है जब सरकार इसकी समस्त सम्पति जब्त करके नीलामी कर देगी और यह हमेशा के लिए सलाखों के पीछे होगा।
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