मेडिकल कालेज में नर्सिंग, सूत न कपास जुलाहों में लठ्ठम-लठ्ठ!

(विनोद मिश्रा)
बांदा। एक मशहूर कहावत है “सूत न कपास जुलाहों में लठ्ठम- लठ्ठ”। कुछ इसी तर्ज पर बांदा राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कालेज में एमबीबीएस कक्षाओं के साथ नर्सिंग स्टाफ की भी पढ़ाई की घोषणा कर दी गयी है। आश्चर्य की बात यह है की यहां न स्टाफ और न अन्य जरूरी व्यवस्था परंतु कौशल विकास मिशन के तहत यहां 20 नर्सिंग कोर्स संचालित होंगे। तो फिर क्या कागजों पर, यह सवाल तेजी से उठ रहा है। हालाकिं प्रदेश सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। प्रदेश में यह पहला मेडिकल कॉलेज होगा, जहां एक साथ इतने कोर्स होंगे। हरेक बैच में 27 प्रशिक्षणार्थी होंगे।
प्रशिक्षण के बाद उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में नौकरी देने का भी दावा किया जा रहा है। लगभग सभी मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग स्टाफ की लंबे अर्से से चली आ रही कमी अब कौशल विकास मिशन से पूरी की जायेगी। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन की मंजूरी पर बांदा राजकीय मेडिकल कालेज में एक साथ 20 कोर्स संचालित करने की तैयारी है। पहले चरण में सभी कोर्सों में 108 प्रशिक्षणार्थियों को ही ट्रेनिंग दी जाएगी।
प्रिंसिपल डॉ. मुकेश कुमार यादव कि मानें तो स्किल डेवलपमेंट कौशल विकास के तहत संचालित होने वाले कोर्सों में ओटी टेक्नीशियन, डायलिसिस टेक्नीशियन, सीएसडी (सेंट्रल स्टेलाइजर डिपार्टमेंट) टेक्नीशियन, हेल्थ अटेंडेंट, लैब टेक्नीशियन, डायबिटीज काउंसलर आदि प्रमुख हैं। इन कोर्स को शीघ्र शुरू किया जाएगा। 21 सितंबर को उत्तर प्रदेश शासन ने इसकी अनुमति दे दी है। प्रदेश में पहला मेडिकल कॉलेज है, जहां एक साथ 20 कोर्स संचालित होगें।

500 से 2000 घंटे तक के होंगे प्रशिक्षण

मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल ने बताया कि कौशल विकास मिशन के तहत आयोजित होने वाले विभिन्न कोर्स लगभग 500 से 2000 घंटे के प्रशिक्षण के होंगे। इच्छुक अभ्यर्थी निर्धारित पोर्टल पर अपना पसंदीदा कोर्स के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेगा। उन्होंने बताया कि मेडिकल कालेज के एनाटमी, फिजियोलॉजी, बॉयो केमेस्ट्री, लैब टेक्नीशियन आदि विभागों के सीनियर डाक्टर प्रशिक्षण देंगे।
अब सवाल यह उठता है की यहां सामान्य स्वास्थ सेवाओं की तो सुचारू रूप से व्यवस्था नहीं है। कोविड कोढ़ में खाज बना हुवा हैं। आउट सोर्सिंग व्यवस्था पर मेडिकल कालेज की संचालन व्यवस्था कर्मचारियों के आर्थिक और मानसिक शोषण पर टिकी हुई है। जरूरी स्वास्थ मशीनरी नहीं है। एमबीबीएस के छात्रों का ही कोटा पूरा नहीं होता तो कौशल प्रक्षीक्षण के लिये तो बड़ी मुश्किल होगी। हां आंकड़ेबाजी का मिला जुला खेल सम्भव हो सकता है!

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