डीएम एंव खनिज निदेशक की सख्ती से बालू माफियाओं के उड़े होश

  • एनजीटी भी तरेर रहा है जमकरआखें।

पहली अक्टूबर से पट्टा धारकों नें नहीं शुरू की खजाने।

(विनोद मिश्रा)
बांदा। जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह की अभूत पूर्व सख्ती एंव भूतत्व एवं खनिकर्म सचिव निदेशक डॉ. रोशन जैकब की दो दिनों पूर्व अचानक रात को की गई छापेमारी का डर के साथ ही एनजीटी के कसते शिकंजे की दहशत के संमिश्रण से 30 जून से बंद खदानें पहली अक्तूबर को भी नहीं शुरू हो पाईं। इसे भय कामाहौल ही माना जा रहा है की अवैध खनन पर शिकंजा के कारण किसी खदान पट्टाधारक ने खनिज विभाग को अक्तूबर की एडवांस रॉयल्टी राजस्व जमा करनें का साहस नहीं जुटोने दिया।

यह भी कहा जा रहा है कि एनजीटी द्वारा पिछले माह 18 सितंबर को दिए गए आदेश के क्रम में स्टेट इनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथारिटी, उत्तर प्रदेश यानी एसईआईएएखदानों में आकर जांच कर सकती है। इसका भी खौफ है। जिले में कुल 22 खदानें स्वीकृत हैं।एनजीटी की शर्तों के मुताबिक हर साल 30 जून से 30 सितंबर तक बालू खदानों में खनन पर रोक रहती है।

इस बीच सिर्फ डंप या उसकी आड़ में अवैध खनन से ही बालू का कारोबार पेगे मारता रहा है। अक्तूबर से खदानें चालू करने के लिए पट्टाधारकों ने करीब एक हफ्ते से तैयारियां शुरू कर दी थीं। खदानों के रास्ते दुरुस्त किए जा रहे थे, लेकिन पहली अक्तूबर को अधिकृत तौर पर जिले की कोई खदान शुरू नहीं हुई।
कयास लगाया जा रहा है कि दो दिन पूर्व प्रदेश की खनिज निदेशक डॉ. रोशन जैकब ने टीम के साथ लखनऊ से आकर यहां जिले की कई खदानों में अचानक छापा मार अंदाज में निरीक्षण किया था।

निदेशक ने बालू के ओवरलोड ट्रकों की खुद जांच करते हुए न सिर्फ धरपकड़ कराई बल्कि इन ट्रकों को निकालने में मदद कर रहे दो लग्जरी कार सवार पांच लोगों को उनके वाहन समेत पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। खनिज अधिकारी से पांचों के विरुद्ध गिरवां थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। जिला खनिज अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि और चेतावनी दी ।
तीन माह बाद बालू खदानें शुरू होने के चंद घंटे पहले खनिज निदेशक की इस कार्रवाई से खदान संचालक फिलहाल दहशत में हैं।

इधर डीएम आंनद कुमार सिंह के बारे में भी बताया जा रहा है की उन्होनें भीष्म प्रतिज्ञा सी कर रखी है की अवैध खनन नहीं होने देंगे।शायद यही सब कारण हैं की पहली अक्तूबर को किसी भी पट्टाधारक ने एडवांस के रूप में अक्तूबर माह की किस्त नहीं जमा की। इससे उन्हें खदान चालू करने की अनुमति नहीं मिली। यह एडवांस राशि ऑनलाइन जमा होनी है।

एनजीटी के तेवर तीखे

बालू खदान पट्टाधारकों पर एनजीटी भी लगातार तेवर अपनाए हुए हैं। हाल ही में जिले की सभी खदानों के बारे में सुनवाई के दौरान अधूरी रिपोर्ट पेश किए जाने पर एनजीटी ने नाराजगी जताते हुए पूरी रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए थे। अगली सुनवाई 7 जनवरी 2021 को होनी है। उधर, एनजीटी ने खदान पट्टाधारकों को नया निर्देश दिया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से खदान में पानी और प्रदूषण संबंधी एनओसी जमा करें। तभी खदान चालू करें।

9 नई खदानें अगले माह से चालू होंगी

जिले की केन, यमुना, बागै आदि नदियों में 22 बालू खदानें संचालित हैं। खनिज विभाग अगले माह इनकी संख्या बढ़ाकर 31 करने की तैयारी में है। 9 नई खदानों के आनलाइन टेंडर पिछले माह 9 सितंबर को जारी किए गए थे। अगले माह यह चालू हो जाएंगी।

सीसीटीवी कैमरे बिना खदान नहीं चलेंगी।

एनजीटी और हाईकोर्ट के आदेशों के मुताबिक खदानों और उनके रास्तों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य है। निरीक्षण के दौरान खनिज निदेशक ने भी इसके लिए सख्ती से निर्देश दिए हैं। निदेशक ने नियमित निगरानी के भी निर्देश दिए हैं। खनिज अधिकारी का कहना है कि बिना कैमरों के खदान चालू नहीं होने दी जाएगी।

हफ्तेभर में जमा कर सकते हैं पट्टाधारक पैसा

जिला खनिज अधिकारी सुभाष सिंह का कहना है कि चालू माह की किस्त जमा किए बगैर खदान चालू नहीं की जा सकती। फिलहाल किसी पट्टाधारक ने यह राशि जमा नहीं की है। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रमाणपत्र भी देना अनिवार्य है। खनिज अधिकारी ने उम्मीद जताई कि पट्टाधारक हफ्ते भर में पैसा जमा करके खदानें चालू करा सकते हैं।

पट्टेदार बोले- नहीं मिला एडवांस का आदेश

करोड़ों रुपये की पूंजी लगाकर खदानों के पट्टे लेने वाले ठेकेदार और कंपनियों के भी अपने अलग तर्क हैं। सदर तहसील के भुरेड़ी गांव के पास केन नदी की सोना खदान का पट्टा लिए कंपनी कात्यायनी नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड के अंकित कुमार का कहना है कि उन्हें एडवांस राशि जमा करने संबंधी कोई आदेश खनिज विभाग से नहीं मिला है। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाण पत्र लेकर जमा करना है। हालांकि यह नया आदेश है। बारिश में खदान के रास्ते भी बहुत खराब हो गए हैं। इन्हें भी दुरुस्त कराना है।

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