अंतराष्ट्रीय योग दिवस की प्रांसगिकता : मनोज श्रीवास्तव सहायक निदेशक

 

 

(मनोज श्रीवास्तव सहायक निदेशक)

देहरादून।21 जून, अन्तर-राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सम्मिलित प्रयासों में जागरूकता लाना है। जागरूकता लाकर आम जन तक योग का लाभ पहुचाना है। योग का सामान्य अर्थ मन और शरीर में सन्तुलन स्थापित करना एवं आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना है।
योग और योगा को सामान्य प्रचलित अर्थी में देखा जाय, सामान्य व्यक्ति योग को योगा का नाम देकर योग का अर्थ मात्र शारीरिक व्यायाम के रूप में जानता है।

परन्तु शारीरिक व्यायाम एवं प्राणायाम योग की प्रारंम्भिक स्थिति है। योग का अन्तिम लक्ष्य ईश्वर से योग लगाकर ऊर्जा प्राप्त करना है। ऊर्जा प्राप्त कर आत्म साक्षात्कार करना है।

व्यक्ति के पास आज सूचनाओं को अंबार है, परन्तु ज्ञान नहीं है। जिनके पास ज्ञान है, उनके पास अहंकार है। अहंकार के बिना ज्ञान विवेक कहलाता है। यदि हमारे पास विवेक है, अर्थात सही विचार हैं तो हम प्रत्येक क्षेत्र में सफल होंगे।

वैज्ञानिक रूप में जहां सभी चीजों का व्यवसायीकरण हो रहा है वहां हमें यह भी देखना होगा कि उन चीजों का क्या मूल्य है जो व्यवसाय से संबंधित न होकर शुद्ध आत्मचिंतन से संबंधित हैं।
मानवीय व्यक्तित्व के दो पक्ष हैं – शरीर (जड़) और आत्मा (चेतन)। यहां विकास का अर्थ केवल बौद्धिक विकास (शरीर) से नहीं बल्कि आत्मिक विकास भी उसका एक अभिन्न पक्ष है जिसका किसी भी परिस्थिति में परित्याग करना उचित नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री है जिनके प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को ‘‘योग दिवस’’ के रूप में घोषित किया। प्रधानमंत्री ने योग की महत्ता को समझा और विश्व रंगमंच पर योग की स्वीकार्यता व महत्ता को स्थापित किया। अब योग सीमित व विशिष्ट दायरे से निकलकर विस्तृत व आम दायरे तक पहुंचने लगा है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग के प्रमाणिकता और उपयोगिता के पक्ष में मजबूत तर्क रखा।

27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ, महासभा के 69 वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा – योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म, आत्मसयंम एवं पूर्णता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम नहीं है।

बल्कि स्वयं के साथ विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारे जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अन्दर जगरूकता उत्पन्न करता है। योग प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है।

भारत के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ में योग के पक्ष में वैश्विक स्तर पर माहौल तैयार हुआ। इसके परिणाम स्वरूप 11 दिसम्बर को रिकार्ड समय के अन्दर, 193 सदस्यों ने एवं रिकार्ड 177 सहसमर्थक देशों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया। केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीपाद नाईक ने अपने संदेश में कहा- प्रत्येक धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्येक साधक को योग क्रियायें लाभ पहुचायेगी। चाहिए वह स्त्री हो या पुरूष।

योग साधना से मस्तिष्क एवं शरीर का सामंजस्य स्थापित होती है। योग से भावनायें सन्तुलित होती हैं, बौद्धिक स्पष्टता आती है।

सरल शब्दों में कहा जाय तो योग सही तरह से जीवन जीने की कला हैं। इसलिए आज दुनियां योग के जरिये फिटनेस से वेलनेस तक और वेलनेस से हैप्पीनेस की तरफ बढ रही हैं । जीवन जीने की कला के अतिरिक्त योग विश्व के सामने बढ़ा बाजार बनकर आया है। युवाओं के लिए योग कैरियर के रूप में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री है जिनके प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को ‘‘योग दिवस’’ के रूप में घोषित किया। प्रधानमंत्री ने योग की महत्ता को समझा और विश्व रंगमंच पर योग की स्वीकार्यता व महत्ता को स्थापित किया। अब योग सीमित व विशिष्ट दायरे से निकलकर विस्तृत व आम दायरे तक पहुंचने लगा है।

27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग के अर्थ एवं महत्ता को विश्व के सामने रखा। 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों ने रिकार्ड 177 सह-समर्थक देशों के साथ 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प लिया।

प्रथम योग दिवस आयुष मंत्रालय ने 21 जून 2015 को नई दिल्ली में आयोजित कर प्रतिभागियों के 35985 संख्या की दृष्टि से गिनीज विश्व रिकार्ड बनाया। सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए योग विषय पर 21 एवं 22 जून 2015 को दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठि आयोजित की गई। जिसमें विदेश के 13 सौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
योग का व्यापक स्वरूप तथा उसका परिणाम सिन्ध एवं सरस्वती नदी घाटी सभ्यताओं 2700 ईसा पूर्व का प्रतिफलन माना जाता है। योग का अभ्यास पूर्व वैदिक काल में किया जाता था। महर्षि पतंजलि ने उस समय के प्रचलित योग अभ्यासों को व्यवस्थित एवं वर्गीकृत किया। उन्होंने पातंजलयोगसूत्र नामक ग्रन्थ के माध्यम से विश्व के सम्मुख रखा।

योग दिवस का प्रमुख संकल्प है- हमें अपने मन को सदैव सन्तुलित रखना है। इसमें ही हमारा आत्म विश्वास समाया है। मैं खुद के प्रति, कुटुम्ब के प्रति, काम, समाज और विश्व के प्रति शान्ति आनन्द और स्वास्थ्य के प्रचार के लिए प्रतिबद्ध हूॅ।

 

 

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