(विकास गर्ग)
देहरादून । दून पुलिस के लिये ये कहावत अब आम हो चली है कि दून पुलिस से कोई अपराधी नही बच सकता चाहे वो कितना ही खुंखार या चालाक ही क्यों न हो। 3 अगस्त 2019 को राजधानी के कप्तान बने और राजधानी में तैनाती के दौरान ही प्रमोट होकर डीआईजी अरूण मोहन जोशी के ये नेतृत्व का ही करिश्मा है कि दून पुलिस को हरिदार में हुए डबल मर्डर के खुलासे तक के लिये बुलाया गया था। सिलसिलेवार समझने की जरूरत है कि ईमानदार व फोर्स के लिये सदैव तत्पर रहने वाले जोशी का करीब 15 माह का सफर। टीम के तौर पर उनके साथ एसपी सिटी शवेता चौबे व प्रमेंद्र डोबाल जैसे अफसरों की ईमानदार व कर्मठ टीम भी रही। कोविड काल में दून पुलिस के फॉर्मूले व वर्किंग को प्रदेश भर में लागू करने की भी योजना सरकार ने बनाई थी।
अपने जोशिले अंदाज और कार्यशैली के आगे अरुण मोहन जोशी ने हर चुनौती को पस्त कर दिया। 15 माह के कार्यकाल में ऐसी कोई आपराधिक घटना नहीं रही, जिसका दून पुलिस ने खुलासा न किया हो। उनके कार्यकाल के अंतिम दिन भी दून की सबसे बड़ी डकैती का अंतिम आरोपी उनकी टीम ने दबोच लिया। कोविड में लॉकडाउन के दौरान दून पुलिस की कार्यशैली की हर तरफ तारीफ की गई। दून की पुलिस पहली ऐसी पुलिस बनी जिसने घर घर राशन तक पहुंचाने में मदद की।
दरअसल, सितंबर 2019 में बतौर एसएसपी आईपीएस अरुण मोहन जोशी ने कार्यभार संभाला था। पिछली कुछ घटनाएं उन्हें चुनौतियों के रूप में मिली, जिनमें उनकी टीम ने उम्मीद से बढ़कर काम किया और जल्द ही इन चुनौतियों पर पार पा लिया। इसके बाद सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में उन्हें ईश्वरन के घर डकैती मिली। इसमें उनकी टीम को भले ही 14 महीने का वक्त लगा, लेकिन सभी नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
उनकी इन कामयाबियों की बदौलत दून पुलिस का मनोबल सातवें आसमान पर रहा। अपराध छोटा हो या बड़ा। सबमें एक के बाद एक सफलता मिलती चली गई। चुनौतियां वक्त वक्त पर मिली, लेकिन टीम की मेहतन ने उन सबको छोटा कर दिया।
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प्रेमनगर सराफ लूटः गोवा से पकड़े सोनू करण
प्रेमनगर में दिन दहाड़े सराफ से हथियारों के बल पर जेवरात व नगदी लूट ली गई। पुलिस ने सीसीटीवी और अन्य संसाधनों के माध्यम से धरपकड़ को अभियान चलाया। इसमें सफलता मिलने में वक्त जरूर लगा, लेकिन गोवा से दो शातिर बदमाशों को पकड़कर इसका खुलासा कर दिया गया।
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आरआई के घर डकैतीः
आरटीओ ऑफिस में तैनात आरआई के घर डकैती का शायद ही पता चल पाता। महीनों पुलिस को कोई सूचना नहीं दी। लेकिन, डीआईजी जब ईश्वरन के घर डकैती के आरोपियों से पूछताछ में लगे तो इसका भी खुलासा हो गया। उनसे तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज किया गया। यही नहीं आय से अधिक संपत्ति आदि रखने के मामले में उनके खिलाफ विजिलेंस में भी रिपोर्ट भेजी गई।
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किट्टी के मामलों में गैंगेस्टर
यह पहला मौका था जब धोखाधड़ी के मामलों में भी गैंगेस्टर की कार्रवाई को अमल में लाया गया। किट्टी के जंजाल में फंसे शहर को निजात दिलाने के लिए आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की गई। दर्जनों किट्टी संचालकों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई।
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मर्डर के सभी मामले खुले
जोशी के कार्यकाल में लगभग 10 मर्डर के मामले सामने आए। इनमें बहुत से मामले उलझे हुए थे। लेकिन, सभी मामलों में सफलता हासिल की।
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पटेलनगर सराफ लूट कांडः
पटेलनगर के कारगी के पास सराफ से लूट के मामले में जो आरोपी पकड़े गए उसमें चारों तरफ दून पुलिस की तारीफ हुई। पुलिस को राज्य स्थापना दिवस पर पुरस्कृत भी किया गया। लगभग 500 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक करते हुए पुलिस ने बदमाशों को दिल्ली, बागपत और बुलंदशहर से पकड़कर घटना का खुुलासा किया।
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ऑपरेशन सत्यः कार्रवाई और राहत दोनों
डीआईजी अरुण मोहन जोशी के निर्देश पर एक अक्तूबर को ऑपरेशन सत्य की शुरूआत की गई। नशे के खिलाफ पहले भी ऑपरेशन चले, लेकिन सब तस्करों पर कार्रवाई और जागरूकता तक सीमित रहे। लेकिन, ऑपरेशन सत्य में पीड़ितों को नशे की दलदल से बाहर निकालने का काम भी बखूबी किया जा रहा है। करीब 900 नशा की लत वाले युवाओं की काउंसिलिंग कराई गई। इनमें करीब 110 लोगों ने नशा छोड़ा भी है।
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ऑपरेशन थर्ड आईः पुलिस के मुखबिर खास
डीआईजी के निर्देश पर पुलिस की कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए थर्ड आई की शुरूआत की। इसके तहत 10 दिनों के भीतर 500 कैमरे लगवाए गए। इसके साथ ही पहले से ही हजारों कैमरों का जाल शहर में फैला हुआ है। इसे और बढ़ाया जा रहा है।