दिमाग नेगेटिव थॉट जबकि दिल पॉजिटिव थॉट है

(मनोज श्रीवास्तव)

दिमाग का स्पीड अधिक होती है लेकिन दिल स्पीड कम होती है,जो दिमाग के लिये ब्रेक कार्य करता है ।

क्योकि दिमाग मे विश्लेषण की क्षमता होती है,दिमाग चॉजो को तोड़ तोड़ कर देखता है। दिमाग के तोड़ने वाले चरित्र के कारण,दिमाग का सम्बन्ध नेगेटिविटी से रहता है। दिमाग की दूसरी विशेषता है कि वह हर चीज को सन्देह से देखता है।संदेह के माध्यम से सच तक पहुचना चाहता है। नेगेटिव थॉट की स्पीड बहुत तेज होती है। एक क्यो के बाद प्रश्नों की क्यूँ लग जाती है।

जबकि दिल कार्य संश्लेषण करना होता है अर्थात जोड़ना होता है। दिल हर चीज को आस्था और विश्वास से देखता है। इसलिये दिल का सम्बन्ध पॉजिटिविटी से है। पॉजीटिव थाट धैर्यवान होने के कारण ,आस्था के आधार पर सच तक पहुचना चाहता है, इसके कारण इसकक स्पीड स्लो होती है।

इसलिए दिमाग से निर्णय लेते समय दिल का ख्याल नही रखने पर एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है।
एक्सीडेंट से बचने के बुद्धि के साथ भावना का ध्यान रखना जरुरी है।

जब दिमाग के साथ दिल का प्रतीक आस्था आ जाएगी तब हम धैर्यवान हो जाएंगे । धैर्य रखने के कारण हमारे मन की स्थिति ऊपर नीचे नही होगी।

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