राज्य में कार्यरत एक महिला निदेशक ने विभागीय सचिव पर चारित्रिक व मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है
महिला निदेशक ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी को पत्र भेजकर शिकायत की
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मामले में रिपोर्ट तलब कर ली
(विकास गर्ग)
देहरादून। उत्तराखंड में कार्यरत महिला अधिकारी ने विभागीय सचिव पर चारित्रिक व मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगा कर सनसनी मचा दी है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी को लिखे चार पेज के पत्र में संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने प्रभारी सचिव दिलीप जावलकर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा कि सचिव ने उत्पीड़न की सारी सीमाएं लांघ दी। मुख्य सचिव ओमप्रकाश व महिला आयोग को भी इस आशय का पत्र भेजे जाने की खबर है।
इस मुद्दे पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। संस्कृति विभाग में 2009 से निदेशक पद आया तैनात अपने चार पेज के पत्र में सचिव जावलकर पर कई आरोप लगाए है।
बीना भट्ट ने कहा कि सचिव व अपर सचिव/ महानिदेशक ने कर्मचारियों के सामने महिला होने, कार्य कुशलता व चरित्र पर अशोभनीय टिप्पणी कर नीचा दिखाने का प्रयास किया। जबकि उन्हें राज्यपाल व सीएम कार्यालय से कई बार प्रशंसा पत्र मिल चुके हैं। अपर मुख्य सचिव, कार्मिक राधा रतूड़ी ने मामले का संज्ञान लेते हुए परीक्षण के आदेश दिए हैं।
संस्कृति निदेशक ने कहा कि उनके प्रमोशन की फ़ाइल को सचिव ने ढाई साल तक दबाए रखी। यही नही, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 07 सितम्बर 2020 में जब उन्हें प्रमोशन मिला तो सचिव महोदय ने तत्काल 18 सितम्बर को विभाग में महानिदेशक का पद सृजित कर आनंद स्वरूप की नियुक्ति कर दी।
संस्कृति निदेशक ने आरोप लगाया कि सचिव महोदय ठेकेदार राजेश रावत व एक एनजीओ को टेंडर/ठेका दिलाने का दबाव डालते रहे हैं। संस्कृति निदेशक बीना भट्ट ने बाकायदा ठेकेदार राजेश रावत का मोबाइल नंबर भी दिया है।
वही संस्कृति निदेशक बीना भट्ट पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि राजेश रावत के जरिए उन्हें धमकी भी दी गयी है। भारत सरकार की योजना के तहत हरिद्वार के घाटों में ऑडियो विसुअल्स फैसिलिटी से जुड़े टेंडर देने के लिए उन पर भारी दबाव बनाया गया। और मानसिक उत्पीड़न किया गया।
हर की पैड़ी में टेंडर मिलने के बाद ठेकेदार राजेश रावत ने सामान की आपूर्ति नही की। इसके अलावा ऋषिकेश के आस्था पथ का टेंडर सचिव के प्रिय राजेश रावत को नहीं मिलने पर उनका मानसिक उत्पीड़न किया गया। एक महिला की एक अन्य स्वंय सेवी संस्था को भी काम देने का सचिव महोदय भारी दबाव बनाते है। यही नहीं, नौकरी से निकालने की भी बार बार धमकी देते है। पत्र में तत्कालीन अपर सचिव व महानिदेशक आनन्द स्वरूप को भी कठघरे में खड़ा किया गया है।इसके अलावा चार पेज के शिकायती पत्र में सचिव दिलीप जावलकर की कार्यप्रणाली पर कई आरोप लगाए है।
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