(विकास गर्ग)
देहरादून: उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ने के आसार हैं। उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अभिभावकों को अजीब सलाह दी है।शिक्षा मंत्री का कहना है कि जो अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं भर सकते वो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि अभिभावक जो सुझाव देंगे उसके मुताबिक सरकारी स्कूलों में बेहतर व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि सरकारी स्कूलों में सभी विषयों के शिक्षकों की तैनाती की गई है वहीं प्राइवेट स्कूलों की फीस के लेकर उन्होंने कहा कि जल्द इस मसले पर प्लान तैयार किया जाएगा।
अखबारों में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री का बयान पढ़ा।अखबारों में छपे बयान के मुताबिक शिक्षा मंत्री जी ने कहा है कि जो अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं दे पा रहे हैं, वे अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला करा दें।अच्छी पहल है।इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
पर इससे पहले अगर शिक्षा मंत्री जी समस्त राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों के बच्चों का राजकीय विद्यालयों में ही विद्याध्ययन अनिवार्य कर दें तो अन्य अभिभावक भी यह जोखिम उठा सकते हैं।
सरकारी स्कूलों के अध्यापकों के बच्चे कॉन्वेंट स्कूलों में क्यों पढ़ते हैं?पहले इस गुत्थी को सुलझाना जरूरी है।
कुछ लोगों का तर्क है या हो सकता है कि सरकारी स्कूलों की दशा एवं व्यवस्था बेहद खराब है।प्रश्न यह है कि जब सरकारी स्कूलों की दशा एवं व्यवस्था इतनी खराब है कि वहाँ सरकारी स्कूलों के अध्यापकों के बच्चे नहीं पढ़ सकते हैं तो उनमें दूसरे बच्चों को क्यों पढ़ाया जा रहा है।जिन स्कूलों में अध्यापकों के अपने बच्चे नहीं पढ़ सकते, उन स्कूलों को बिना देरी किए फौरन बंद कर देना चाहिए।
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