(विनोद मिश्रा)
पुलिस और माफिया के उत्पीड़न से परेशान पत्रकार अंसू गुप्ता और उनके साथी रामकिशोर उपाध्याय पिछले चार दिनों से बाँदा के अशोक लाट के नीचे आमरण अनशन पर बैठे है। लेकिन चार दिन बाद भी जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी पत्रकार अंसू गुप्ता की सुध लेने नहीं पहुँचा। जबकि कल बाँदा के आधा सैकडा से ज्यादा पत्रकारों ने आईजी के सत्यनारायण चित्रकूट धाम मंडल बाँदा से मुलाकात कर पीड़ित पत्रकारों को न्याय दिलाने की बात कही थी लेकिन आईजी भी इस पूरे मामले की जानकारी के बाद भी टाल मटोल करते नजर आये। इसके बाद भी कोई कार्यवाही का उचित आश्वासन तक नहीं दिया।आमरण अनशन पर बैठे पत्रकारों की हालत बिगडी तो पत्रकार साथियों ने डॉक्टरों से बात कर अनशनकारी पत्रकारों की जान बचाने के लिए अस्पताल पहुँचाया जहाँ दोनों का इलाज किया गया।
आपको बतातें चले कि पत्रकार अंसू गुप्ता पिछले दिनों अबैध खनन की सूचना मिलने पर अपने और एक बडे अखबार के स्थानीय पत्रकार रवि के साथ खबर लेने पहुंचे जहां अबैध खनन कर आ रहे ट्रैक्टरों का वीडियो बनाया तो ट्रैक्टर ड्राइवरों ने माफिया अभिषेक गंगेले को फोन पर सूचना दी । पहले माफिया अभिषेक गंगेले ने पत्रकार अंसू गुप्ता को फोन पर खबर न करने और वीडियो डिलीट करने के लिए कहा और सम्मान करने की बात कही । जब पत्रकारों ने बिना वीडियो डिलीट किये वापस लौटने लगे तो उक्त माफिया ने अपने अन्य साथियों व गुर्गो को भेज कर पत्रकार का कैमरा, और मोबाइल छीन लिया।
पत्रकारों ने विरोध किया तो पत्रकार अंसू गुप्ता व रवि के साथ जमकर मारपीट कर फरार हो गये। जिसकी तत्काल सूचना पत्रकार अंसू गुप्ता ने आईजी, सहित सभी आला अधिकारियों को भी दी । सूचना पर तीन थानों की पुलिस भी घटना स्थल पर पहुँची लेकिन इसके बाद भी दूसरे दिन पत्रकारों के दबाव में रिपोर्ट दर्ज तो किया लेकिन अभी तक अारोपियों को गिरफ्तार तक नहीं किया। बल्कि जसपुरा थाना अध्यक्ष अर्जुन सिंह ने माफियाओं से सांठगांठ कर स्थानीय भाजपा विधायक के दबाव और पैसों के दम पर पत्रकार अंसू गुप्ता और रवि के खिलाफ दबाव बनाने के लिए उल्टा पत्रकार पर रंगदारी मांगने और मारपीट करने के फर्जी तहरीर पर एक सप्ताह बाद मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
पुलिस के सहयोग से पत्रकार पर सुलह करने का दबाव बनाने के लिए खुलेआम गुंडागर्दी करते हुए पूरे परिवार सहित जान से मारने की धमकी दी गई। जिसके चलते पीड़ित पत्रकारों को न्याय न मिलने के कारण आमरण अनशन पर बैठना पड़ा। दुखद बात तो यह रही कि एक बडे समाचार पत्र के ब्यूरो ने उक्त पत्रकार रवि को अपना पत्रकार मानने से इंकार कर दिया।
चार दिनों से बिना कुछ खाये आमरण अनशन पर बैठे पत्रकार अंसू गुप्ता व रामकिशोर उपाध्याय की हालत ज्यादा बिगडने से साथी पत्रकारों ने एम्बुलेंस बुलाकर अस्पताल पहुँचाया। जिला प्रशासन के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये से नाराज पत्रकारों ने प्रशासन के किसी भी कवरेज को करने से मना करते हुए पीड़ित पत्रकार की इस लड़ाई को अब आरपार लडने का मन बना लिया है। पत्रकारों ने प्रशासन सहित सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों को भी आगाह किया है कि यदि पत्रकार अंसू गुप्ता के साथ कोई घटना होती है तो आगामी चुनावों में उनको औकात दिखाने का काम किया जायेगा। जब इस सरकार में पत्रकार सुरक्षित नहीं है तो आम जनता का क्या हाल होगा। पत्रकारों के इस लड़ाई मे बाँदा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सहित बुंदेलखंड इंसाफ सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं, एस, नोमानी ने भी समर्थन का एलान किया है।
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