(विनोद मिश्रा)
बांदा। ऑक्सीजन बनाने में कोविड-19 एल-2 अस्पताल व बांदा राजकीय मेडिकल कालेज ‘आत्मनिर्भर’ बनेगा। शासन ने यहां ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित करने की अनुमति दे दी है। इसमें लगभग एक करोड़ रुपये लागत आएगी। यह राशि डिजास्टर मैनेजमेंट फंड से खर्च होगी। मेडिकल कालेज ने प्लांट के लिए तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि टेंडर प्रक्रिया से स्थापना तक करीब दो माह का समय लग जाएगा।
कोरोना के चलते ऑक्सीजन की खपत कई गुना बढ़ गई है। कोरोना संक्रमितों को सांस लेने में दिक्कत होने पर बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन मेडिकल कालेज और अस्पतालों में आक्सीजन की कमी हो रही थी।
इसको दूर करने के लिए शासन ने मेडिकल कॉलेजों/अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया। इसी के तहत यहां मेडिकल कालेज में प्लांट लगाने की कवायदें शुरू हो गईं। प्रधानाचार्य डॉ. मुकेश कुमार यादव ने बताया कि कालेज परिसर में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने टेंडर आदि प्रक्रिया के लिए पत्र भेजा है।
डीएम के अनुमोदन के बाद डिजास्टर मैनेजमेंट फंड से प्लांट लगाया जाएगा। टेंडर प्रक्रिया के बाद प्लांट उपकरण यहां लगाकर एक्सपर्ट इसे इंस्टाल कर देंगे। उन्होंने दावा किया कि प्लांट संचालन के बाद यहां ऑक्सीजन की कमी नहीं हो सकेगी। हालांकि पूरी प्रक्रिया और प्लांट चालू होने में लगभग दो माह का समय लग सकता है।
प्रधानाचार्य ने बताया कि मेडिकल कालेज में 500 बेड का अस्पताल है। उनके यहां लगभग 850 जंबो साइज ऑक्सीजन सिलिंडर हैं। प्रत्येक की क्षमता लगभग 6000 लीटर ऑक्सीजन की है। 610 सिलिंडर भरे हैं।
यहां वार्डों में भर्ती कोरोना मरीजों की वजह से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है। रोजाना 50 से 60 ऑक्सीजन सिलिंडर खर्च हो जाते हैं। मरीज की स्थिति पर ऑक्सीजन की मात्रा निर्भर होती है। औसतन प्रति घंटा 5 से 60 लीटर प्रति मरीज ऑक्सीजन खर्च हो रही है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा में कानपुर से ऑक्सीजन भराई जा रही है। प्रति सिलिंडर लगभग 300 रुपये खर्च आता है। प्रतिदिन लगभग 30 हजार रुपये ऑक्सीजन सिलिंडर पर खर्च हो रहे हैं।
200 सिलिंडर क्षमता का होगा आक्सीजन प्लांट।
मेडिकल कालेज के एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. एसके आर्या ने बताया कि फिलहाल कालेज में प्रतिदिन 200 आक्सीजन सिलिंडर क्षमता के प्लांट लगाने की तैयारी है।
पाइप लाइन के जरिये ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी। इसके अलावा सिलिंडर भरे जाएंगे। आने वाले समय में ऑक्सीजन प्लांट मेडिकल कालेज के लिए बेहद मुफीद साबित होगा। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन टेंडर होंगे। यह प्रक्रिया अगले माह शुरू हो जाएगी। प्लांट के उपकरण वातावरण से गैसों को खींचकर नाइट्रोजन को अलग कर ऑक्सीजन को फिल्टर करेगा। ऑक्सीजन के मामले में यहां के अस्पतालों में ‘रामराज्य’ है। स्वास्थ्य विभाग पर्याप्त ऑक्सीजन का दावा कर रहा है।
इसके बावजूद जरूरतमंद मरीजों को समय से ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। बानगी के तौर पर जिला अस्पताल में समय पर ऑक्सीजन न मिलने से महोखर गांव निवासी पवन कुमार वर्मा के ढाई वर्षीय पुत्र प्रशांत की मौत है।
25 सितंबर की रात प्रशांत को बिच्छू ने डंक मार दिया था। जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर के डाक्टर ने ऑक्सीजन न होने की बात कहकर उसे कानपुर रेफर कर दिया, लेकिन इसके पहले ही उसकी मौत हो गई। पिता पवन ने पुलिस को इसकी तहरीर भी दी है। उधर, जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसएन मिश्र ने बताया कि उनके यहां 80 छोटे और 22 जंबो (बड़े साइज) के ऑक्सीजन सिलिंडर हैं।
इनमें क्रमश: 60 व 20 भरे हैं। प्रतिदिन 4 से 5 सिलिंडर की खपत है। खाली होने पर प्रत्येक सप्ताह ऑक्सीजन सिलिंडर छतरपुर (मध्य प्रदेश) से भराए जाते हैं। उधर, सीएमओ डॉ. एनडी शर्मा ने बताया कि जिले के प्रत्येक सीएचसी और पीएचसी में 10-10 ऑक्सीजन सिलिंडर हैं। इनमें ऑक्सीजन की खपत कम है। बमुश्किल सप्ताह में एक या दो सिलिंडर ही खर्च हो पाते हैं। स्टॉक में 10 जंबो सिलिंडर हैं।
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