बुन्देलखंड में बंधुवा मजदूरी बनी अमरबेल, नहीं मिल रही पा रही मुक्ति


(विनोद मिश्रा)
बांदा।बुन्देलखंड के लिये बंधुवा मजदूरी अभिशाप से मुक्ति नहीं पा रही। गरीबी बंधुवा मजदूरी के लिए अमर बेल बन गई है। अब इसकी नई कथा भी जान लीजिए।तीन माह से राजस्थान के अजमेर में ईंट भट्ठों पर बंधुआ बांदा और चित्रकूट के 24 मजदूरों को बंधुआ मुक्ति मोर्चा के हस्तक्षेप पर अजमेर प्रशासन ने रिहा कराया है।

इनमें बांदा की चार महिलाएं, छह बच्चे और 11 पुरुष, चित्रकूट के तीन मजदूर शामिल हैं। अजमेर प्रशासन ने इनको बंधुआ मुक्ति प्रमाणपत्र जारी कर गृह जनपद रवाना कर दिया है।
बांदा के इंगुवा मऊ गांव के 11 मजदूर परिवारों और चित्रकूट के तीन युवा मजदूरों को इसी वर्ष सितंबर में ठेकेदार ईंट भट्ठों पर काम करने के लिए ले गया था।

ये अजमेर शहर के नजदीक पंचशील नगर में एक भट्ठे पर मजदूरी कर रहे थे। भट्ठा संचालकों ने उन्हें मजदूरी नहीं दी और महिलाओं से दुर्व्यवहार शुरू कर दिया।
मजदूरों ने छुट्टी और मजदूरी मांगी तो नहीं दी गई। उन पर रात-दिन नजर रखकर बंधुआ बना लिया गया। पिछले माह पांच नवंबर को एक मजदूर ने बंधुआ मुक्ति मोर्चा नई दिल्ली के महासचिव निर्मल अग्नि को फोन पर बंधुआ होने की सूचना दी। बताया कि भट्ठा संचालक मजदूरी, घर और पानी तक नहीं दे रहे। महिलाओं से भी दुर्व्यवहार कर रहे हैं।


बंधुआ मुक्ति मोर्चा महासचिव ने अजमेर प्रशासन से शिकायत कर मजदूरों को मुक्त कराने की मांग की। सोमवार (7 दिसंबर) को मोर्चा के अशोक व संगीता चौधरी सहित स्थानीय श्रम विभाग के निरीक्षक और नायब तहसीलदार तुकाराम की संयुक्त टीम भट्ठे पर पहुंची।


मोर्चा के राजेश याज्ञिक, दिनेश ध्रुव ने टीम को भट्ठे तक पहुंचाया। टीम ने मजदूरों के बयान लिए। मजदूरों ने बताया कि वे वापस घर जाना चाहते हैं, लेकिन भट्ठा मालिक और ठेकेदार नहीं जाने दे रहे। टीम ने सभी मजदूरों को देर शाम मुक्त कराकर अजमेर के एसडीएम अवधेश मीणा के समक्ष पेश किया। एसडीएम ने बंधुवा श्रम उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत तत्काल मजदूरों को बंधुआ मुक्त प्रमाणपत्र जारी कर दिए। उसी दिन रेलवे स्टेशन के पास रैन बसेरे में ठहराया गया। बुधवार को सभी मजदूर बांदा और चित्रकूट रवाना हो गए।


मजदूरों को दिया एडवांस या कर्ज वापसी का हक नहीं
अजमेर के उप जिला मजिस्ट्रेट ने बंधुआ मजदूरों के रिहाई आदेश में कहा कि प्रतिष्ठान स्वामी (भट्ठा संचालक) या ठेकेदार द्वारा मजदूरों को दिए गए एडवांस या बतौर कर्ज रकम अदेय घोषित की जाती है।
भट्ठा संचालकों को आदेश दिया कि किसी भी प्रकार से उन्हें यह रकम पाने का अधिकार नहीं रह गया है। मजदूरों से वसूली का कुचक्र न करें। मजदूरों की सभी संपत्ति और सामग्री उन्हें वापस कर दें। ऐसा न करने पर बंधुआ श्रम प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत दंड के भोगी होंगे।


मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूर
मनोज पुत्र राजबहादुर, सोना पत्नी मनोज, नरेंद्र कुमार पुत्र जुगराज, संदीपा पत्नी नरेंद्र कुमार, शिवऔतार पुत्र राजबहादुर, श्यामकली पत्नी शिवऔतार, शिवप्रसाद पुत्र रामचंद्र, धर्मेंद्र, विजीत कुमार पुत्र फेरन, रामकेशन पुत्र कल्लू सभी निवासीगण ग्राम पोस्ट इंगुवा जनपद बांदा। रिंकू पुत्र रामखिलावन व दिलीप कुमार पुत्र रामखिलावन ग्राम बसीला (चित्रकूट), कुंवर पुत्र चौकीलाल निवासी लोहदा (चित्रकूट)।


मजदूरों को 20 हजार और पुनर्वास की मांग
बंधुआ मुक्ति मोर्चा महासचिव निर्मल अग्नि ने मुक्त मजदूरों को प्रति मजदूर 20 हजार रुपये सहायता राशि दिलाने की मांग अजमेर प्रशासन से की है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से उनके पुनर्वास का अनुरोध किया है। कहा कि केंद्र सरकार के पास बजट होने के बाद भी जिला स्तर पर इसका फंड नहीं बन पाया है।


करीब 450 से ज्यादा बंधुआ मजदूर तीन साल से पुनर्वास की आस लगाए बैठे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिकाएं भी विचाराधीन हैं। विद्याधाम समिति के राजाभइया ने भी मजदूरों के पुनर्वास की मांग की।

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