आखिर ऐसे पत्रकारिता क्यो,पत्रकार अपनों के ही दुश्मन

 

 

(विकास गर्ग)

देहरादून। पत्रकारों का काम होता है निष्पक्ष पत्रकारिता करते हुये खबरों को जनता के समक्ष रखना लेकिन सोशल मीडिया का दुरूपयोग करने से कुछ लोग बाज नहीं आ रहे हैं। निष्पक्ष पत्रकारों की भीड़ में ऐसे भी कुछ पत्रकार हैं जिन्हें अच्छाई में से भी बुराई निकाल लेने में महारत हासिल है।

 

सब जानते हैं कि मीडिया संस्थानों की आजीविका का साधन विज्ञापन होता है। यह अधिकार सरकार के पास होता है कि किसे विज्ञापन जारी करना है और किसे नहीं। कोराना वायरस के विषय में जनता को जागरूक करने हेतु अभी हाल ही में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सूचना विभाग के माध्यम से कुछ न्यूज पोर्टलों को विज्ञापन जनहित में जारी किये गये। ये विज्ञापन सूचना विभाग की सोशल मीडिया की नियमावली के नियमानुसार ही जारी हुये।

 

जैसे ही खबर फैली कि कुछ न्यूज पोर्टलों को विज्ञापन जारी हुये तो सरकार विरोधी कुछ गिने चुने पत्रकारों के पेट में दर्द होने लगा। बेचैनी होने लगी कि इन्हें विज्ञापन मिल गया, हमें क्यों नहीं? अपनी भड़ास निकालने के लिये इन लोगों ने सोशल मीडिया पर सरकार पर तो हमला बोला ही, अपने साथी पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि गत कई वर्षों से विज्ञापनों पर उनका एकछत्र राज जो चल रहा था।

 

हर तिकड़म से अपने संस्थानों के लिये विज्ञापन का जुगाड़ करने वाले इन कुछ पत्रकारों की वर्तमान सरकार के राज में दाल नहीं गल पा रही थी तो अंदर ही अंदर छटपटा रहे थे। अब दूसरों को विज्ञापन क्या मिले, इनके सीने पर सांप लोटने लगे ।

 

जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनका इतिहास उठाकर देखा जाये तो पता चलेगा कि कितने ही भारी भरकम विज्ञापन इन पत्रकारों ने पिछली सरकारों के कार्यकाल में लिये हैं । यह बात पूरी पत्रकार बिरादरी जानती है। जानने के बावजूद भी कभी किसी ने विरोध नहीं किया। किसी ने कभी कोई इस प्रकार की ओछी हरकत नहीं की जैसी इस बार की गयी है। क्या विज्ञापनों पर इन्हीं लोगों का हक है ? कहीं डाका नहीं डाला, किसी का हक नहीं मारा, किसी के हिस्से की रोटी नहीं छीनी, अगर कुछ न्यूज पोर्टलों को विज्ञापन मिला तो इतना विरोध क्यों ?

 

ऐसे गिने चुने पत्रकारों को अपनेे गिरेबान में झांकने की आवश्यकता है। पहले स्वंय को देखें उसके बाद किसी ओर पर उंगली उठायें।
पिछली सरकारों पर दबाव डालकर ऐसे लोग विज्ञापन हथिया लेते थे पर वर्तमान सरकार के राज में दबाव डालकर विज्ञापन लेना इतना आसान नहीं।

 

 

 

 

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