(विकास गर्ग)
उत्तराखंड में एक व्यकितत्व ऐसा भी कोई प्रचार न प्रसार सिर्फ अपने कार्य के प्रति गंभीर व संवेदनशील और मुख्यमंत्री व भाजपा की उपलब्धियो को आगे बढ़ाने का काम ।
सुबह 11 बजे अपने आफिस बैठ जाना व दिन भर आगन्तुको से मिलना व त्वरित रूप से उनके कार्यो का निस्तारण होते हुए करना और यह सब मैंने अपनी आंखों से देखा है और कौन अधिकारी ऐसा नही जो इन्हें व इनकीं ताकत को न जानता हो ।
हर 10-20 मिनट में किसी न किसी का फोन घनघनाते रहना और इन महाशय का बडे प्यार से प्रणाम करके सामने वाले कि समस्या को सुनना और दूसरे ही पल संबंधित अधिकारी को उसके काम के लिए फोन करते देखना । भई मैंने तो तक ऐसा तेज- तर्रार और तुरंत काम करने वाला व्यक्त्वि जो कि सुबोध उनियाल वाली कार्यशैली के बाद इस सरकार में अभी तक इनको ही देखा ।
अधिकतर पत्रकारो को निजी रूप जानने वाला यह व्यक्ति अपने पिता से 20 वर्षो की पत्रकारिता सीखा व स्वयं उत्तराखंड से अपने स्वामित्व के पहले न्यूज़ चैनल स्वामी 10 वर्षो से है व जीवन के बड़े उतार चढ़ाव देख चुका है
हालांकि यही से प्रसारित होने वाले चैनल तो उत्तराखंड में कई आये और चले भी गए और अब भी इक्का दुक्का बचे है पर सब लाइसेंस किराये पर लेकर आये पर इस शख्शियत की हिम्मत और जुनून है कि स्वयं के न्यूज़ चैनल का मालिक होने के साथ मुख्यमंत्री के प्रदेश में फ़िल्म उद्योग की स्थापना के उद्देश्य को सफल करने में दिन रात काम कर रहा है व 3 गढ़वाली फिल्में भी बनाने का कीर्तिमान स्थापित कर चुका है जिसके चलते 9 नम्बर राज्य स्थापना दिवस पर इन्हें मसूरी फ़िल्म कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री ने इन्हें “राज्य विशिष्ट व्यक्ति सम्मान ” से नवाजा और अब कुछ समय शांत रहने के बाद इनका चैनल अगले माह से सैटेलाइट पर सब डी टी एच प्लेटफार्म पर दिखने जा रहा है जो इनका सपना था भाजपा कांग्रेस में शायद कोई ही ऐसा नेता होगा जो इनके न्यूज़ चैनल की डिबेट में इनके स्टूडियो न आया हो और अब पुनः वही रौनक शुरू होने जा रही है ।
एक दिन मेरा सुबह से शाम तक इस शख्शियत के साथ बीता कोई भी व्यक्ति किसी भी विभाग का कार्य करने के लिए फोन कर ओर यह व्यक्ति तत्प्रता से कार्य निबटा दे ऐसे ही कोई मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद मांगता ,कोई अपने सरकारी काम मे व्यवधान के समाधान को कहता दिखा तो कोई पहाड़ से मैदान में आने की गुहार करता दिखा ,कोई अपने पोर्टल या समाचार पत्र के लिए विज्ञापन चाहता दिखा तो कोई भाजपा के 3 साल की उपलब्धियों के 100 पेज डॉक्यूमेंट में से विशेष विषयो पर प्रचार के पहलू पर निर्देश लेता दिख रहा था ।
भाजपा के दिल्ली मुख्यालय को गोपनीय रिपोर्ट देने वाले व मोटा भाई तक करीबी पहुँच रखने वाले व मोदी जी की कोर योगा टीम से सदस्य इस शख्श न कोई सरकारी सुविधा,न सरकारी गाड़ी,न दफ्तर ,न मानदेय और न सरकारी स्टाफ । मात्र एक सरकारी व दो निजी पी एस ओ व अपने निजी स्टाफ के साथ 2 गाड़ियों के काफिले में तन्मयता से अन्य दायित्वधारियों से इत्तर ये शख्श अपना फर्ज निभाता दिखा ।
कोविड -19 में जनता क्या कह रही है ,क्या होना चाहिए, क्या कहा कमी है ? कौन अधिकारी क्या कर रहा है और क्या उसकि रिपोर्ट है वो सब यहां जानते – सुनते – होते दिखा । कुंल मिलाकर मुख्यमंत्री की एक आंख,नाक और कान यहाँ से भी सब देख सुन और समझ रही है ये पहली बार देखा और मुख्यमंत्री की गंभीरता और संवेदनशीलता का एक नया परिचय दिखा और शायद ऐसे मजबूत लॉगो के साथ होने नतीजा यह है कि सरकार के मुखिया 5 साल का कार्यकाल पूर्ण करेंगे ।
हालांकि जब मैने स्वम किसी भी रिपोर्ट या इस सबको उन्होंने प्रचार प्रसार करने हेतु मना भी किया पर हम तो पत्रकार है आमजन के सरोकारों को जनता से अधिकारी तक पहचाना व सच को सच और झूठ को झूठ बताना हमारा पत्रकारिता का नैतिक फर्ज भी है और जो दिखा वो तो लिखना बनता भी है हालांकि आजकल सत्ता के गलियारों में इनकीं चर्चा जबरदस्त है पर सार्वजनिक नही है
यह वही शख्स है जब सब मुख्यमंत्री का एक समय बीच मे साथ छोड़ गए थे और जबरदस्त हल्ला मचा पर इन शख्श व इसके कुछ निजी साथियो व सम्पर्कों ने मुख्यमंत्री के दुश्मनों को अपनी लेखनी,कूटनीति व सम्पर्कों से धराशायी कर दिया और उन आकाओं को भी ठंडा कर दिया जो मुख्यमंत्री व सरकार के ख़िलाफ़ बड़ी साजिश कर रहे थे । हो न हो इस साजिश को जबरदस्त तरीके से धराशायी कर यह सख्श बिना किसी प्रचार प्रसार के अपना दायित्व निभा रहा है पार्टी में पद की आफर आयी तो ठुकरा दिया बोले अभी जो कर रहे है वही मिशन उनके लिए जरुरी है ।
यह पूछने पर की इन सब विषयो पर आपका क्या कहना है तो बड़ी साफगोई के साथ बोले विकास भाई मुझे पता है जिंदगी की कब शाम हो जाये पता नही ….पर कुछ तो लोग कहेंगे…लोगो का काम है कहना….पर हमे अपना काम है करते रहना… मिशन 2022 में त्रिवेंद्र जी को दुबारा है मुख्यमंत्री बनाना । मित्रता का फर्ज है निभाना ।
ऐसा दमदार व्यक्त्वि पर्दे के पीछे छिपा गुमनाम सलाहकार खुल कर सामने होता तो शायद आज सरकार की मीडिया मैनेजमेंट में तूती बोलती और आज पत्रकारो में समानंजस्य कुछ और ही होता और विज्ञापनों की बंदरबांट पर डिबेट न हो रही होती सबको समान अधिकार मिल रहा होता क्योंकिं छोटा हो या बड़ा सबसे इनके मधुर संबंध आज के नही है ।
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